अधिकारियों की उदासीनता के चलते रस्म अदायगी तक सीमित रहा क़ौमी एकता पर आधारित कवि सम्मेलन और मुशायरा, नहीं पहुंचे बड़े अधिकारी, लोग हुए मायूस

क़ौमी एकता सप्ताह के अंतर्गत स्थानीय गांधी भवन में आयोजित गंगा जमुनी तहजीब को क़ायम रखने और आपस में भाईचारे को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरे में अधिकारियों के पहुंचने से मायूस हुए कवि, शायर और गिने चुने श्रोता।
 अधिकारियों की उदासीनता के चलते श्रोताओं से ज्यादा संख्या कवि और शायरों की थी, क्योंकि न तो इसका व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार ही किया गया था और ही न ही ज़्यादा लोगों को औपचारिक रूप से आमंत्रित ही किया गया था। जिन लोगों को आमंत्रित भी किया गया था, वे भी देर-सवेर सिर्फ़ फ़ोटो सेशन के लिए पहुंचे। इस तरह फाइलों में आयोजन की कटिंग और फोटो लगाकर कौमी एकता सप्ताह मना लिया। हालांकि पिछले वशिष्ठ आयोजन काफी भव्य तरीके से किया गया था इसमें सप्ताह भर तक आधा दर्जन से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये गए थे।
 आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के जन्मदिन 19 नवंबर से लेकर 26 नवंबर तक प्रतिवर्ष कौमी एकता सप्ताह मनाया जाता है। जिसमें विभिन्न कार्यक्रम जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, डिबेट, सेमिनार, बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन मुशायरा आदि आयोजित किए जाते थे। इसके लिए बाकायदा एक कमेटी भी बनाई जाती थी, जिसमें डीएम की अध्यक्षता में सिटी मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारियों को अलग-अलग कार्यक्रमों की जिम्मेदारी दी जाती थी। इनके अलावा नगर के संभ्रांत नागरिक व प्रमुख समाजसेवी भी कमेटी में रहते थे। लेकिन इस वर्ष अधिकारियों की उपेक्षा के कारण कौमी एकता सप्ताह बहुत ही अनमने ढंग से मनाया गया। शहर में इसको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

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